दर्द बया करता हूँ अपना,
असीमित गम छुपाये हुए हूँ मैं, कई नाम है
मेरे ,गुटका,तम्बाकू,गांजा,अफीम,हेरोइन
सिगरेट,कोकीन,शराब,रम,बीयर ओर चरस।
बहुत बुरा हूँ मैं,नहीं चाहता सेवन करे कोई भी मेरा, लत किसी को भी लगे मेरी।मेरे दलाल पैसो के लालच में बेचते मुझे ओर लत मेरी लगाते हैं।
हँसती ,खेलती जिंदगीयो को बरबाद कर देता हूँ मैं। अगिनत परिवारों को तबाह किया है मैने,मै एक धीमा जहर हूँ ,जो धीरे-धीरे अपना सेवन करने वालो को खोखला कर देता हूँ।फेफडों को गला कर ,गले को सडा कर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी व अनेक मानसिक विकृतियों को मैं जन्म देता हूँ। मेरे नशे के नियंत्रण की उत्तेजना में कई लोग अपना मानसिक संतुलन खोकर हैवान की तरह कार्य कर बैठते हैं ,जिसके कारण उनका ओर कई लोगों का पूरा जीवन ही बरबाद हो जाता है।लत जिन्हे मेरी लग जाती हैं, उन्हे मैं अपना धीरे-धीरे गुलाम बना लेता हूँ ।लत ऐसी लगाता हूँ कि मुझे खरीदने के लिए पैसा ना होने पर लोगो से झूठ बोलना, चोरी,डकैती,हत्या,स्मगलिंग भी करवा लेता हूँ।पुलिस की गिरफ्त में आये लोगों को जेल की सजा भी दिलवा देता हूँ मैं।
सबसे बडा दुख मुझे देश की भावी पीढ़ी को अपना गुलाम बनते देख कर होता है,जो कि देश का भविष्य हैं।शिक्षण संस्थानों में अपना भविष्य बनाने के लिए,माता-पिता से दूर, अपने सपनों को पूरा करने के लिये आने वाले युवा लड़के,लड़कियो को मेरे दलाल अपने शिकंजे में आसानी से ले लेते हैं।मेरे बारे में उन्हे बताया जाता है कि मेरा नशा मजा देता है ,सब तनाव से दूर कर सपनिली दुनिया में उडा ले जाता है ,हाँ कुछ पलों के लिए यह सच है मगर धीरे-धीरे मेरी गिरफ्त में आये लोगों का जीवन मैं नर्क बना देता हूँ।
नौजवानों को शिकंजे में ले, मन मस्तिष्क पर नियंत्रण कर उनके उज्जवल भविष्य को चूर-चूर कर देता हूँ।मुझे कई बार ऐसे दृश्य भी देखने को मिलते है,जब माता-पिता निराशा से भरे ,मेरी लत के शिकार शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार, अपने बच्चों की शिक्षा को बीच में ही समाप्त कर शिक्षण संस्थानों से
वापस ले जाते है।नशा मुक्ति केंद्र में मेरे द्वारा त्रस्त लोगों का हाल देख कर मुझे स्वयं से नफरत होती ।
मैं उन माता-पिता से शर्मिंदा हूँ,जिनके बच्चो के स्वास्थ्य व भविष्य को मैंने बरबाद कर दिया।
उन बच्चों से माफी मांगता हूँ जिनके माता-पिता को मैंने छीना।कई माताये ,बहने,बच्चे ,भाई जिनके अपनों को, मैंने अपना शिकार बनाया है,वो कहते हैं कि मेरा
सत्या——-हो पर कहाँ मेरा नाश होता है,मैं तो फल फूल रहा हूँ,सरकारी तंत्र ओर मेरे दलालों की छत्रछाया में। मेरे जीवन में बस एक ही खुशी है,जब चिकित्सक मेरा इस्तेमाल किसी रोगी के उपचार हेतु कर उसे स्वास्थ्य कर देते है। मेरा यह सकारात्मक रूप मैं सदा जीवित रखना चाहता हूँ ।आप सब से मेरी प्रार्थना है कि कोई भी, किसी भी प्रकार से मेरा सेवन ना करें ,आपका शरीर अनमोल हैं, आपके माता-पिता की देन हैं जिसे उन्होंने बडे ही जतन से पाल पोश कर सवारा है,उसे मेरे हवाले कर दल-दल में फस कर अपने उज्जवल भविष्य को अंधकार में ना धकेले।
मैं उन माता-पिता से ,भावी माता-पिता से भाई -बहनों से कहना चाहता हूँ कि वो मेरा सेवन ना करें अगर वो स्वयं मेरा सेवन करेंगे तो वह किस अधिकार से अपने बच्चों ,भाई-बहनों को मेरा सेवन करने से रोक सकते हैं ,मुझसे दूर रख सकते हैं।आपके पास उन्हे रोकने का अधिकार तभी होगा ,जब आप स्वयं मेरा सेवन ना करें।
हर परिवार ,शहर ,राज्य, देश व पूरे विश्व सेे मेरा बहिष्कार हो जाये,मेरा अंत हो जाये यही मेरी इच्छा है।