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1–🌼यादों के झरोखों से 🌼
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सच में बहुत याद आती है,
राधिका तुम और तुम्हारी चाय,
एक कप चाय सिर्फ चाय नहीं होती,
बहाना मेल-मिलाप का ही नहीं,
यादगार पलों की कहानी होती है,
हिस्सा खट्टें – मीठें किस्सों का होती हैं,
बहुत कुछ सीखने व जानने का जरिया,
बहुत कुछ पाने व देने का जरिया,
चाय की प्याली बन जाती है,
माना कई वर्ष गुजर गये लम्हों को बीते,
अंकित है मानस पटल पर आज भी,
राधिका तुम और तुम्हारी चाय,
नया शहर,अनजान लोग, परेशान था मन,
हाँफ बर्थ डे का केक बिटिया का आयी थी देने,
बगल वाले घर में रहती बताया था तुमने,
कुछ बातें हुई घर आने को बोला था तुमने,
एक शाम मैं घर आयी तुमने चाय पिलाई थी,
वो चाय कितनी ही मुलाकातों का हिस्सा बन गयी,
जैसा नाम वैसा ही निश्छल प्रेम है तुम्हारा,
शाम की अधिकांश चाय साथ तुम्हारे होने लगी,
बडी बहन सा अधिकार,छोटी बहन सा प्यार जताना,
बच्चों ने मौसी, बुआ सा अपनापन तुमसे पाया,
चाय फिर अकेली कहाँ रही,
समोसा, जलेबी की दावत संग,
शर्मिला, टिम्सी,सोमी,रश्मी को भी जोड गई,
समोसा,जलेबी की पार्टी, बच्चों के संग तुम्हारी मस्ती
वो मनुहार कर नाश्ते की पूरी प्लेट खाली करवाना,

सर्दियों की गुनगुनी धूप में,

कच्चा-पक्का अमरूद साथ में खाना,

आज भी देख अमरूद याद आता हैं,
तुम्हारा अपनापन, शरारत,मीठी मुस्कान व हँसी,
प्रार्थना हैं ईश्वर से सदा बनायें रखे ,
सच में बहुत याद आती हैं,
राधिका तुम और तुम्हारी चाय ।

🌼🌼🌼☕☕ 🌼🌼🌼 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 -अनिता शर्मा